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आखिरकार ट्रैन के ब्रेक फैल क्यों नही होते है ?

आखिरकार ट्रेन के ब्रेक फैल क्यों नही होते है ?

आपने देखा भी होगा एवं सुना भी होगा ब्रेक फेल होने की खबर दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। आज उस कार का ब्रेक फेल होने से एक्सीडेंट हो गया या उस कार का हो गया। बहुत सी महंगी गाड़ियों के भी ब्रेक फेल हो जाते है। लेकिन हम लोग का सवाल ये है कि ट्रेन के ब्रेक फेल क्यों नही होते है। ट्रेन के अंदर किस तकनीक का उपयोग किया जाता है कि ट्रेन के ब्रेक जो है बो कभी भी फेल नही होते है।

■ आखिर ब्रेक फेल होना होता क्या है ?

ब्रेक फेल होने का मतलब होता है कि ब्रेकिंग सिस्टम का काम नही करना। अब आपके ऊपर ही ले लो यदि आप ज्यादा मेहनत करते है तो आप बीच मे फेल हो जाते है वो काम होता नही है। यदि आप आम भाषा मे किसी भी गाड़ी का ब्रेक फेल होने का नाम लेते है तो सीधी सी बात है कि ब्रेक का न लगना। इस वक्त चाहे आप कितनी भी कोशिस करले ब्रेक आपसे नही लगेगा क्योकि आपका ब्रेक सिस्टम काम ही नही कर रहा है। लेकिन आपको ध्यान यही रखना है कि ब्रेक फेल होने का मतलब ब्रेक का न लगना नही बल्कि ब्रेकिंग सिस्टम का फेल हो जाना होता है।

■ ट्रेन के ब्रेक्स के अंदर किस तकनीक का प्रयोग किया जाता है।

हमारे भारत देश की ट्रेनों के अंदर एयर ब्रेकिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है। ये ब्रेकिंग सिस्टम सड़को पर चलने वाली सभी गाड़ियों से अलग होता है गाड़ियों के ब्रेक्स फेल हो सकते है लेकिन ट्रेन के ब्रेक कभी भी फेल नही होंगे। अब देखो ट्रेन के इन ब्रेक्स के अंदर उनके ब्रेक्स सिस्टम के सिलेंडर में बहुत ज्यादा हवा भर दी जाती है। आप सुना होगा जब ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकती है तो अजीब जी आवाज आती है । चूस चूस की आवाज आपने सुनी होगी वो वही होती है। इस हवा के कारण ट्रेन के जो ब्रेक पेड होते है वो पहियों से अलग हो जाते है। इसलिए पहियों पर कोई प्रभाव नही पड़ता है। हम अपनी गाड़ी को रोकने के लिए ब्रेक को दबाते है लेकिन ट्रेन को रोकने के लिए ब्रेक दबाया नही जाता बल्कि उसको हटा दिया जाता है। कहने का अभिप्राय है कि एयर प्रेशर को खत्म कर दिया जाता है , उसकी हवा जो होती है वो निकाल दी जाती है जिससे चूस चूस की आवाज आती रहती है। इसी के कारण ब्रेक पैड पहियों से चिपक जाते है साथ मे ट्रेन रुक जाती है।

इस तकनीक का उपयोग केवल सुरक्षा की दृष्टि से ही किया गया है। जिसके अंदर दुनिया भर में गाड़ियों को रोकने के लिए ब्रेक्स को दबाया जाता है लेकिन ट्रेनों को रोकने के लिए ब्रेक हटाया जाता है। हालांकि ट्रेन के ब्रेक भी फेल होते है लेकिन पब्लिक को इसके बारे में कभी भी पता नही चलता है।

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