लोकेश गुप्ता , नई दिल्ली
आमतौर पर कहा जाता है कि जीवन के लिए ऑक्सीजन बहुत ही अनिवार्य है। यदि हमारे शरीर को भरपूर ऑक्सीजन और भोजन मिले तो वह पूरा विकास करता है। अब हमारा सवाल यह है कि ऑक्सीजन और भोजन मिलने के बाद भी वृद्धावस्था क्यों आती है। किसी भी प्रकार की कोई कमी नही रहती फिर भी हमारी मृत्यु क्यो हो जाती है।
जीवद्रव्य कला :
यह अर्ध पारगम्य झिल्ली है एवं इसकी मोटाई 25°A से 75° A तक होती है।
जीवद्रव्य कला का मुख्य कार्य विसरण या जल की परासरन क्रिया पर नियंत्रण , ATP बनाने के लिए माध्यम का कार्य ,तथा इलेक्ट्रॉन के आवागमन हेतु माध्यम का कार्य करती है।
दरअसल बुढापा हमारे शरीर के परिवर्तन की एक प्रक्रिया का पड़ाव होता है। ये तो आप जानते ही हैं कि किसी भी जीवधारी का शरीर कोशिकाओं या cells से मिलकर ही बना होता है। चूँकि कोशिका किसी भी जीवधारी के शरीर की कार्यात्मक और संरचनात्मक होती है। cell is the structural and functional unit of life, और इस कोशिका में ही जीवद्रव्य या (Protoplasm) पाया जाता है, जो कि जीवन का भौतिक आधार है या फिर कहें कि जीवन को बनाए रखने के लिए यह बहुत ही जरूरी है।
हमारी प्रत्येक कोशिका में लगभग 90 प्रतिशत तक लगभग जल पाया जाता है, जो कि वास्तव में जीव द्रव्य ही है। कोशिका के अंदर उपस्थित अंगक जलीय माध्यम में ही आसानी से अपना काम कर पाते हैं। प्रत्येक कोशिका विभाजित होकर, नई कोशिका बनाती रहती है। लेकिन वृद्धावस्था में कोशिका विभाजन की यह क्रिया बहुत धीमी पड़ जाती है, जिसके कारण कोशिकाओं की कार्य क्षमता भी अपने आप कम होती जाती है। एक निश्चित उम्र के बाद जीव द्रव्य की मात्रा कम होने लगती है। जिसके कारण कोशिकाएं धीरे-धीरे शिथिल पड़ने लगती है।
हमारे वातावरण से ऑक्सीजन और संसाधनों से भोजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध तो होता है लेकिन कोशिकाएं पर्याप्त मात्रा के अंदर ऑक्सीजन और भोजन को यूटिलाइज नहीं कर पाती हैं। अंत: कोशिकाएँ काम करना बिल्कुल बंद कर देती हैं और कोशिका के अंदर जीवद्रव्य भी नहीं बचता जिसके कारण कोशिका मृत हो जाती है। इसे ही मृत्यु कहते हैं। यदि हम वैज्ञानिको की बात करे रुओ अभी तक वे एक फॉर्मूले को खोज पाए है जिसके कारण हमारे जीव द्रव्य की मात्रा को कम होने से रोका जा सके। यदि कभी ऐसा हुआ तो स्वस्थ मनुष्य की उम्र भी बढ़ाई भी जा सकती है।
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