गर्भाशय में बच्चा बनता कैसे है ?
आप सबने सुना होगा कि पेट से बच्चें होते है लेकिन गर्भाशय में बच्चा बनता कैसे है ये जानना बहुत आवश्यक है। चलिए जनन तंत्र के बारे में हम पूरा जान लेते है। मादा जनन कोशिकाओं अथवा अंड कोशिका का निर्माण अंडाशय में होता है। वे कुछ हार्मोन भी उत्पादित करती है। लकड़ी के जन्म के समय ही अंडाशय में हजारों अपरिपक्व अंड होते हैं। योन आरंभ में इनमें से कुछ परिपक्व होने लगते हैं। दो में से एक अंडाशय द्वारा प्रत्येक माह एक अंडर परिपक्व होता है ।
महीन अंडवाहिका अथवा फैलोपियन ट्यूब द्वारा यह अंडर कोशिका गर्भाशय तक ले जाए जाते हैं। दोनो अंडवाहिका संयुक्त होकर एक लचीली थैलीनुमा सरंचना का निर्माण करती है। जिसे हम गर्भाशय कहते है। गर्भाशय ग्रीवा द्वारा योनि में खुलता है। मैथुन के समय शुक्राणु योनि मार्ग में स्थापित होते है। जहाँ से ऊपर की और यात्रा करके वे अंडवाहिका तक पहुंच जाते है। जहाँ अंडकोशिका से मिल सकते है। निषेचित अंडा विभाजित होकर कोशिकाओं की गेंद जैसी सरंचना या भ्रूण बनाता है। भ्रूण गर्भाशय में स्थापित हो जाता है , जहाँ यह लगातार विभाजित होकर व्रद्धि करता है। तथा अंगों का विकास करता है।
हम ये बात पहले भी जान चुके है माँ का शरीर गर्भाशय एवं उसके विकास के लिए विशेष रूप से अनुकूलित होता है। अतः गर्भाशय प्रत्येक माह भ्रूण को ग्रहण करने एवं उसके पोषण हेतु तैयारी करता है। इसकी जो आंतरिक परत होती है वो मोटी होती है तथा भ्रूण के पोषण हेतु रूधिर प्रवाह भी बढ़ जाता है ।
बच्चें को मां के खून से ही पोषण मिलता है। इसके लिए एक विशेष सरंचना होती है। जिसे हम साधारण भाषा मे प्लेसेंटा कहते है। यह एक तश्तरीनुमा संरचना होती है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी होती है। इसमे बच्चें की और के ऊतक भी होते हैं। मां के ऊतकों में रक्तस्थान होते है जो प्रवर्ध को आच्छादित करते हैं । यह माँ से बच्चे को ग्लूकोज , ऑक्सीजन एव अन्य पदार्थो के स्थानांतरण हेतु एक बृहद क्षेत्र प्रदान करते है। विकासशील बच्चें द्वारा अपशिष्ट पदार्थ उतपन्न होते है। जिनका निपटान उन्हें प्लेसेंटा के माध्यम से माँ के खून में स्थानांतरण द्वारा होता है। माँ के शरीर मे गर्भ को विकसित होने में लगभग 9 मास का समय लगता है। गर्भाशय के पेशियों के लयबद्ध संकुचन से शिशु का जन्म होता है।
■ भविष्य में नही होगी SSC , RRB की कोई भर्ती परीक्षा
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