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अचानक छींक आने से हमारी आंखें बंद क्यो हो जाती है ?

अचानक छींक आने से आँखे बंद क्यो हो जाती है ?

सन्दीप यादव , नारनौल
5 साल का बच्चा हो या फिर 70 साल का अनुभवी व्यक्ति, यदि उसे छींक आने पर आंखें अपने आप बंद हो जाती हैं। पलक झपक जाती है। अब सवाल यह है कि ऐसा क्यों होता है, एवं इसके पीछे क्या राज है। हमारे बुजुर्ग व्यकित कहते हैं कि छींकते समय यदि हम अपनी आंखें बंद न करें तो हमारी पुतली को खतरा हो सकता है वो निकल भी सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के प्रोफेसर का यह दावा है कि छींक का हमारी आंखों से कोई रिश्ता नहीं होता है। काफी अभ्यास के बाद कुछ वैज्ञानिकों ने अपनी आंखें खोलकर उन्होंने छींककर दिखाया। लेकिन फिर भी व्यकित के शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसके बात के पीछे कोई न कोई लॉजिक तो हो सकता है।

■ आखिर मनुष्य को छींक क्यों आती है।

सन्दीप सर बताते है कि इसका कारण समझने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि हमें छींक आती क्यो है। देखिए मेरे प्यारे साथियों होता ऐसे है कि जब हम स्वास लेते है तो स्वास के रास्ते मे जब बाहरी धुल कण या हमारा महीन रेशा आदि अटक जाता है तो उसे साफ करने की जो प्रक्रिया है उसे हम छींक कहते है। जब इस प्रकार का कोई अवरोध हमारी श्वासनली में अटकता है तो दिमाग की तंत्रिका को अव्यवस्था का एक प्रकार का संदेश जाता है। इसके बाद हमारा दिमाग शरीर को यह अवरोध हटाने का तुरंत आदेश दे देता है उसके बाद हमारे फेंफड़े ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन इकट्ठी कर उसे जोर से बाहर निकाल देते है। तभी तो कहते है उस बन्दे ने बहुत तेज छींक मारी है। छींकते समय जो आवाज आती है वो ऑक्सीजन के दबाव के कारण आती है। साथ ही जो धुलकल या कोई रेशा अटक गया था वो भी छींक के माध्यम से बाहर निकल जाता है।

■ छींक आती क्यो है ?

साइंस की अध्यापिका पूनम शर्मा ने बताया कि छींकना एक प्रतिवर्ती क्रिया यानी ( reflex action) होती है। जैसे- पलकों का झपकना या फिर गर्म चीज पर हाथ रखते ही हाथ का अपने आप हटना, स्वादिष्ट भोजन देखकर या फिर सूंघ कर मुंह में लार आना, कांटे पर पैर रखते ही पैर का तुरंत प्रभाव से हटना आदि ये सभी प्रतिव्रती क्रियाओं के उदाहरण है। इन सब की हर घटना मस्तिष्क तक पहुंचने के पहले ही हमारे शरीर मे एक्शन हो जाता है।

■ छींकते समय आँखों का बन्द होना ।

जहाँ तक हमारी छींकने के दौरान पलक बन्द होने का सवाल है इस सवाल के लिए वैज्ञानिक नर्व सिस्टम को ही जिम्मेदार बता रहे है उनका कहना है कि इसी के करण हमारी पलक झपकती है। अब बात करते है ट्राइजेमिनल नर्व की ,ट्राइजेमिनल नर्व तंत्रिका तंत्र का वह हिस्सा होता है जो हमारे चेहरे , हमारी आंख , हमारा नाक , हमारा मुंह और हमारे जबड़े को नियंत्रित करती है। दरअसल छींकने के दौरान अवरोध का संदेश दिमाक के साथ हमारी आंखों तक भी पहुंचा देती है और इसकी प्रतिक्रिया के माध्यम से हमारी पलकें झपक जाती हैं। यानी हम कह सकते है कि छींकने के समय पलकों के झपकने का कोई खास मतलब है नहीं है।

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