शून्यकरणीय विवाह क्या होता है ? हिंदी विवाह अधिनियम की धारा 11 एवं 12 क्या कहती है ?
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 11 एवं 12 में क्रमशः शून्य एवं शून्यकर्णीय विवाह के बारे में प्रावधान किया गया है।
■ क्या है शून्य विवाह
हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा में 5 में वैध हिन्दू विवाह की अनिवार्य शर्तो का उल्लेख किया गया है। इनमे से कुछ शर्तें ऐसी है। जिनका यदि उल्लंघन कर विवाह किया जाता है तो ऐसी विवाह Void विवाह कहलाता है। अधिनियम की धारा 11 के अंदर निम्ननिखित विवाहों को शून्य विवाह माना जाता है।
A) जहाँ विवाह के समय यथास्थिति पक्षकारों में से किसी का पति या पत्नी जीवित हो।
B) जहाँ विवाह में पक्षकार सपिण्ड सम्बधों में आते हो।
C) जहां विवाह के पक्षकार प्रतिषिद्ध नातेदारी की डिग्रियों के भीतर आते हों।
■ क्या है शुन्यकरणीय विवाह
अधिनियम की धारा 12 के अंदर शून्यकर्णीय विवाह के बारे में उपबन्ध किया गया है। इसके अनुसार निम्नलिखित विवाह को शून्यकर्णीय होने से न्यायालय की डिक्री द्वारा Null घोषित किया जा सकता है।
1) जहाँ Respodent की Impotency के कारण विवाहोत्तर सम्भोग नही हुआ हो।
2) यदि पति की नपुसंकता के आधार पर पत्नी द्वारा विवाह विच्छेद की याचिका प्रस्तुत की जाती है। तो ऐसे समय मे पति की नपुंसकता का पता लगाने के लिए उसका चिकित्सा परीक्षण कराया जा सकेगा ।
● ये केस अमोल चव्हाण बनाम ज्योति चव्हाण का चला हुआ है। FIR 2012 मध्यप्रदेश 61
1) जहाँ विवाह के समय विवाह का कोई पक्षकार चित्तविक्रति के कारण विधिमान्य सम्पति देने में असर्मथ रहा हो। इस सीमा तक मानशिक विकार से ग्रस्त रहा हो। उसे बार बार किसी प्रकार का दौरा पड़ता हो।
2) जहाँ प्रत्ययर्थी विवाह के समय अर्जिदार से भिन्न किसी व्यकित द्वारा गर्भवती रही हो।
◆ ऐसे विवाह को घोषित किया जाएगा।
क) बल प्रयोग या कपट का पता चलने की तिथि से एक वर्ष के भीतर याचिका प्रस्तुत कर दी जाए।
ख ) बल प्रयोग या कपट का पता चलने के पश्चात पक्षकार पूर्ण सम्पति से पति पत्नि के रूप में नही रहे हो।
■ विवाह के समय लड़की गर्भवती हो।
जब न्यायालय से समाधान हो जाए तो याचिकाकर्ता विवाह के समय पत्नी के गर्भवती होने के कारण तथ्य से अनभिज्ञ रहा हो। यदि विवाह इस अधिनियम के लागू होने के पूर्व अनुष्ठापित हुआ हो।
पत्नी के गर्भवती होने का पता चल जाने के बाद अर्जिदार द्वारा उसके साथ स्वेच्छा से सम्भोग नही किया गया हो। वह विवाह से पूर्व की गर्भवती हो।
■ विवाह से पहले गर्भवती होना
विवाह से पहले गर्भवती होना विवाह की अकर्त्ता का आधार केवल तभी बन सकता है जब विवाह के समय पति को इस तथ्य की जानकारी नही रही हो। ऐसी जानकारी होने के बाद पति द्वरा पत्नी के साथ सम्भोग नही किया गया हो।
■ क्या विवाह से पहले असती होना शून्यकर्णीय विवाह का आधार है :
बहुत बार यही प्रश्न उठता है कि क्या विवाह से पहले का असती होना शून्यकर्णीय विवाह का आधार है। इस आधार पर विवाह को अकृत घोषित कराया जा सकता है। सुरजीत बनाम राजकुमारी FIR 1967 , पँजाब 172 के मामले में इस सवाल का जवाब दिया गया है। विवाह से पहले गर्भवती होना शून्यकरणीय का आधार है लेकिन असती होना नही अर्थात विवाह से पहले असती होने के आधार पर धारा 12 के अंतर्गत विवाह को अकृत घोषित नही कराया जा सकता है।