कोहिनूर हीरे के पहले स्वामी नाम क्या था ?
इस हीरे के बारे में तो हर एक ने सुना होगा । आपकी जानकारी के लिए बता दे कोहिनूर हीरा भारत की संपत्ति है। जो कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मुकुट के अंदर लगा हुआ है। लेकिन आज की पोस्ट के अंदर हम इस हीरे के पहले स्वामी एवं ये कितना पुराना है उसकी हम आज बात करेंगे। आपके मन मे कभी कभी विचार आता होगा कि ये हीरा इतना ज्यादा बहुमुल्य क्यों है। जबकि दुनिया के अंदर इससे ज्यादा वजन के हीरे भी मौजूद है।
■ कोहिनूर हीरे के प्रथम स्वामी का नाम
आज तक कोहिनूर हीरे से सम्बंधित कोई स्प्ष्ट इतिहास का पता नही लग पाया है। इसके बारे में कोई कुछ कहता है तो कोई कुछ बतलाता है। इस हीरे के पुराने होने की बात करे तो ये कोहिनूर हीरा लगभग 5000 साल से भी पुराना है। भारत के शास्त्रों में इस हीरे को स्यमंतक मणि के नाम से उल्लेखित किया गया है। श्रीकृष्ण जी के समय की बात करे तो जाम्वंत जी ने यह मणि भगवान श्री कृष्ण को दी थी। कुछ पुरातत्व विशेषज्ञ का कहना है कि इस कोहिनूर हीरे का अस्तित्व 3300 ईसा पूर्व का माना गया है। कुछ का ये भी कहना है ये हीरा गोलकुंडा की खान से निकला है जो आज वर्तमान के अंदर आंध्रप्रदेश के अंदर है। वर्ष 1731 तक ये दुनिया एकमात्र पहली हीरे की खान थी।
■ ये हीरा बहुमूल्य क्यों है ?
कोहिनूर डायमंड का जो वजन है वो 105 कैरेट यानी 21.6 ग्राम है। वर्तमान के अंदर दुनिया में इससे ज्यादा वजनदार हीरे मौजूद हैं। सबसे आश्चर्य की तो बात ये है कि दुनिया के 7 सबसे वजनदार हीरो में कोहिनूर का नाम नहीं आता है। इसके बावजूद भी कोहिनूर हीरा इतना बहुमूल्य माना जाता है। ये इतना बहुमुल्य इसलिए है कि इस हीरे के पीछे कई मान्यताए भी छुपी हुई है। इस हीरे के ऊपर दुनिया सभी शासकों ने घोर विश्वास किया था। इस हीरे सभी मान्यताओं में से एक मान्यता ये भी है की जिस राजा के मुकुट में ये हीरा होता है वो दुनिया का सबसे शक्तिशाली एवं लोकप्रिय राजा होता है। ये मान्यता बहुत ही पहले की है। जब तक ये हीरा भारत जैसे महान देश के अंदर मौजूद था। इसीलिए भारत बहुत ही धनवान एवं बहुमुल्य राष्ट्र माना जाता था। जिससे अंग्रेजो ने भारत पर राज करके सब कुछ भारत देश से छीन लिया ।