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एक व्रत के सर्किल को 360 डिग्री में ही क्यो मापा जाता है ? 100° या इससे अधिक में क्यों नही माप सकते है ?

एक व्रत का सर्किल 360 डिग्री में ही क्यो मापा जाता है ? इससे कम में क्यों नही माप सकते है ?

आप सभी को तो पता ही होगा सभी चीजों को हम 100 मानते है। 100 का खेल तो पूरे गणित में चलता है। 100 के बिना गणित को हल करना महाभारत हो जाता है। इस 100 का अर्थ 100 प्रतिशत होता है। कहने का मतलब है कि पूरा पूरा होना कुछ भी शेष न बचना । हम लोग का सवाल ये है कि जो व्रत होता है वो 360° पर ही क्यो मापा जाता है। आप इससे कम या फिर इससे अधिक क्यो नही ले सकते है। सबसे बड़ी आश्चर्य की बात तो ये है कि 100 प्रतिशत को भी 100 से क्यों नही मापा जाता है। ये सवाल जानकर आपके फ्यूज उड़ गए होंगे कि आखिकार ऐसा होता क्यों है।

वैसे हम यदि विशेषज्ञ की बात करे तो बहुत विशेषज्ञों ने काफी Example इस प्रश्न पर दिए है। लेकिन फिर भी काफी लोगो ने अनुमान से ही इस प्रश्न का जवाब देने की कोशिस की है। कभी विचार विमर्श करके या फिर कोई हल करके इसका उत्तर नही दिया गया। किसी अध्यापक ने कहा है कि समकोण 90 डिग्री का होता है इसलिए जो चार समकोण है वो मिलकर 360 डिग्री का कोण बनाते है। लेकिन किसी अध्यापक ने कहा बच्चो को की ये तो परम्परा चलती आ रही है। हम यहाँ गणितज्ञ या फिर किसी परम्परा की बात नही करेंगे उनके ऊपर पर्दा डालकर हम एक ट्रिक्स या फिर लॉजिक की बात करेंगे उसी से हम इस कथन को समझेंगे।

आप सभी को ऋग्वेद के बारे में तो सुना ही होगा। इस सवाल का जवाब इसी ऋग्वेद के अंदर छुपा हुआ है। बहुत से लोग केवल नाम लेकर या सुनकर उस बात को दबा देते है लेकिन कभी विचार या मंथन नही करते है। अब देखिए ऋग्वेद 2-264-48 में लिखा है कि पृथ्वी द्वारा जो सूर्य है उसका एक चक्कर पूरा करने में एक वर्ष निर्धारित करते है। ये बात तो सभी को पता होगी , नही पता है तो आप अब पढ़ सकते है। जिसमे तीन ऋतुओं की अवधि पूरी होगी और फिर नवीन वर्ष चक्र जो होगा वो शुरू होगा। आप सभी को ये बात पता होगी कि सूर्य को पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करने में 360 दिन का समय लगता है। इसलिए 1 चक्कर 360 दिन का किया गया। यही कारण है कि 1 सर्किल 360 डिग्री का मापा जाता है। हम इससे कम या फालतू नही ले सकते है। इसी गुणन के कारण 1 घण्टे में 60 मिनट ओर 1 मिनट में 60 सेकेंड होती है। जबकि हमारे पास 1 दिन के अंदर 60 घण्टे होते है। कालचक्र के परिवर्तन के कारण वर्ष में 366 दिन भी हो जाते है।

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