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सियाचीन भारतीय आर्मी का मौत का कुँआ क्यो माना जाता है ?

सियाचिन भारतीय आर्मी के लिए दुश्मन क्यो है ?

सियाचिन भारत एवं पाकिस्तान के बीच एक विवादित ग्लेशियर है। सियाचिन भारत के लिए क्यो आवश्यक है आज की पोस्ट में हम आपको बताएंगे। ये दुनिया का सबसे ऊँचा युद्ध स्थल है। सियाचिन की लम्बाई 72.5 Km है। सियाचिन का अर्थ होता है कि गुलाबो की भरमार । यहाँ ध्रुवों के पास बहुत अधिक बर्फ पड़ती है। सियाचिन पहले पाकिस्तान के कब्जे में था उसके बाद वर्ष 1984 के अंदर भारत ने ऑपरेशन मेघदूत चलाकर इसको अपने कब्जे में लिया था। सियाचिन जाने के लिए भारतीय आर्मी नुब्रा घाटी से होकर जाती है , जो कि कराकोरम एवं लद्याख श्रेणी के मध्य है। यहाँ पर दो कूबड़ वाले ऊँट भी पाए जाते है। यदि हम बात करे कि सफेद पानी किसको कहा जाता है तो सफेद पानी भी इसी को कहा जाता है।

■ विवाद का कारण :
यह दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध स्थल है।इसके एक तरफ पाकिस्तान की सीमा तो दूसरी तरफ चीन देश की सीमा लगती है। दोनो देशों की हर बात पर , हर क्रियाकलाप पर नजर रखने के लिए ये भारत के लिए बहुत ही आवश्यक है। भारत ने इस पर 13 अप्रैल को कब्जा किया था।

■ विवाद क्यो है :
देश के नेताओ की वजह से ये विवाद हुआ। जवाहर लाल नेहरू ने इस विवाद को ज्यादा किया है। उनकी वजह से आज भी विवाद हो रहा है। जवाहर लाल नेहरू जी के कारण आज केंद्र सरकार 1000 करोड़ रूपये केवल सियाचिन पर खर्च करती है केवल इसलिए कि ये सुरक्षित रहे। जब जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे तब इनको कहा गया कि इसको भारत मे लिया जाए तब जवाहर लाल नेहरू जी ने कहा कि यहाँ पर बंजर भूमि है वैसे भी ये जगह काम की नही है इसलिए इस विवाद न किया जाए। उसके बाद पाकिस्तान ने इस क्षेत्र पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया। लेकिन 1984 के अंदर इसको भारत ने अपने कब्जे में ले लिया। लेकिन अभी भी निचले भाग पर पाकिस्तान का कब्जा है वही ऊपरी भाग पर भारत का कब्जा है।

■ सियाचिन की खास बात ।
सियाचिन खास बात ये है की यहाँ पर दो कूबड़ वाले ऊंट पाए जाते है। साथ ही इसको गुलाबो की भरमार भी कहा जाता है। यहाँ पर सुबह सूर्य की किरणें बिल्कुल चकाचौंध की तरह पड़ती है जो हमारी आंखों को अंधा कर सकती है। इसलिए आपने देखा होगा कि जवान बड़े बड़े चश्मे लगाकर रखते है। यहाँ पर आर्मी पूरे कपड़ो में रहती है। यदि हमारा एक भी अंग बाहर रहे तो ये बर्फ हमारी त्वचा को खराब कर देती है। सबसे बड़ी बात ये है कि यहाँ पर जवान 3 महीने से ज्यादा ड्यूटी नही कर सकता है।

■ आर्मी का सबसे बड़ा दुश्मन ।
आज तक युद्ध मे जितने सैनिक मारे गए उससे ज्यादा सैनिक यहाँ बर्फमारी एव हिंस्खलन से मारे जा चुके है। हर साल यहाँ हमारा देश 100 से 200 जवान खो देता है। यदि हम यहाँ के तापमान की बात करे तो यहाँ का तापमान -50℃ रहता है जो कि बहुत ही खतरनाक है। फिर भी हमारे देश के सैनिक सियाचिन को बचाने के लिए यहां देश की सुरक्षा करते है।

■ सियाचिन से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य ।

1) 13 अप्रैल को सियाचिन पर झंडा लहराया गया था।
2) यहाँ पर दो कूबड़ वाले ऊँट पाए जाते ही।
3) यहाँ मंहगाई इतनी ज्यादा है कि दिल्ली से 2 रुपये की रोटी यहाँ पहुंचते पहुंचते 500 रुपये की हो जाती है।
4) सियाचिन भारत की एक ऐसी जगह है जहाँ हमारे जीवन का एक अंश मौजूद नही है।

■ सियाचिन जवानों का मौत का कुँआ ।
सियाचिन को आर्मी एवं वहां के रहने वाले लोगो के लिए मौत का कुँआ कहा जाता है । बहुत भारी मात्रा में यहाँ बर्फमारी होती है जिससे अनेक सैनिक वैसे ही मारे जाते हैं । साथ मे यहाँ बर्फमारी होने के कारण आर्मी के जवानों की याददाश्त कमजोर , बोलने में कमजोरी बार बार बोलते वक्त अटकना सब पैदा हो जाते है इसलिए अधिकतम 3 महीने ही यहाँ जवान अपनी डयूटी कर पाते है।

1 thought on “सियाचीन भारतीय आर्मी का मौत का कुँआ क्यो माना जाता है ?”

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