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पौरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट ग्लैंड ) को पुरुषो का दूसरा दिल क्यो कहा जाता है ।

पौरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट ग्लैंड ) का आकार कैसा होता है ।

हमारी जो पौरुष ग्रंथि यानी प्रोस्‍टेट ग्लैंड, पुरुषों के जननांगों का अहम हिस्‍सा होता है। ये बात तो सभी लड़को को पता होगी। अब यदि हम इसके आकार की बात करे तो इसका आकार अखरोट जैसा होता है किसी को नही पता तो आप देख सकते है।

हमारी ये जो ग्रंथि है ये सीमेन निर्माण में मदद करती है जिससे हमारी सेक्‍सुअल क्‍लाइमेक्‍स के दौरान वीर्य जो होता है वो आगे की ओर जाता है। ऐसा नही है कि इसमे कोई रोग या जलन नही होगी या गिर ये सुरक्षित होता है , इस ग्रंथि के अंदर सामान्‍य बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन से लेकर कैंसर जैसे गंभीर रोग भी हो सकते हैं।

प्रोस्टेट ग्लैंड ज्यादा बढ़ जाने पर
लगभग 30% पुरुषों 40 की उम्र में
और 50% से भी ज्यादा पुरुषों 60 की उम्र में प्रोस्टेट की समस्या से परेशान होते हैं। आजकल ये सबसे ज्यादा होने लग गया है। इसी ग्लैंड को पुरुषो का दूसरा दिल माना जाता है। हमारी पौरूष ग्रंथि शरीर के अंदर महत्वपूर्ण क्रिया करती हैं, जैसे यूरीन के बहाव को कंट्रोल करना और प्रजनन के लिए सीमेन बनाना ये सब करती है। अब बात आती है बढ़ने की तो देखिए जैसे जिसे हमारी उम्र बढ़ती ही वैसे वैसे ये ग्रन्थि बढ़ जाती है।

यदि ये ग्रन्थि शरीर मे अपने आप बढ़ जाए तो ये हमारे लिए खतरा बन सकती है। जिसको हम बीपीएच कहते है। इस ग्रन्थि के बढ़ जाने से मूत्र उत्सर्जन में बहुत समस्या हो सकती है। ये ग्रन्थि अपने आप क्यो बढ़ती है इसका कारण स्प्ष्ट नही हो पाया है। लेकिन सबसे ज्यादा सेक्सुअल क्रिया से पुरुषो में सबसे ज्यादा होती है। ये पुरुषो के अंदर स्वयँ हार्मोन को बदल देती है। जब यह ग्रन्थि स्वयँ बढ़ जाती है तो मूत्र नलिका को अवरुद्ध कर देती है। आपने सुना होगा कि बहुत से लोग कहते है कि पेशाब रुक गया है वो इसी के कारण होता है।

■ क्या है इसके लक्षण
इसमे पेशाब करने में कठिनाई होने लगती है। थोड़ी थोड़ी देर में पेशाब लगना। ये उनमे होता है जो सेक्सुअल ज्यादा रहते है। पेशाब की धार चालू होने में विलंभ होने लगता है। हमारा मूत्राशय सही तरह से खाली नही होता जिससे हमे बार बार पेशाब आता रहता है। इसमे मूत्र की कुछ हद तक मात्रा शेष रह जाती है। अब जो शेष मूत्र रह जाता है उसमें रोगाणु उतपन्न हो जाते है। आपको ऐसा लगता है कि हमे तेज से मूत्र आ रहा है , लेकिन जब आप वाशरूम जाते है तो आपको केवल बून्द बून्द ही मूत्र आता है। साथ मे आपको लगता है कि पेशाब में जलन हो रही है। कई लोगो ने देखा होगा जब आप पेशाब करते है तो आपके मूत्र की कुछ बूंदे टपकती रहती है यानी कहने का मतलब है कि आपका आपके मूत्र पर नियंत्रण नही है। आपके जो अंडकोष है उनमें दर्द होने लगता है। ऐसा कभी कभी ही होता है। जब आप अपने पार्टनर के साथ सेक्स करते है तो आपका जो वीर्य है वो दर्द के साथ बाहर निकलता है। ऐसी व्यवस्था हानिकारक होती है। आपका वीर्य दर्द के साथ नही निकलना चाहिए।

■ कैसे करे उपचार
हमारी जो प्रकति है उसने हमें बहुत अच्छे उपाय दिए है।

1) सीताफल के बीज इस बीमारी के अंदर बहुत लाभदायक सिद्ध होते है। हमे जितना हो सके सीताफल के बीज खाने चाहिए। यदि आप रोज दिन में सीताफल के बीज को खाने के अंदर शामिल करते है तो आपको इस बीमारी से लाभ मिल सकता है।

2) अब आती है आंवले की बारी , एलोवेरा जूस एवं लोकी के जूस की बारी इस बीमारी के अंदर आपको आंवले का चूर्ण या फिर उसके जूस का इस्तेमाल करना चाहिए ये ठंडा रहता है जो हमारी बीमारी को बिल्कुल ठीक करेगा।

3) जैतून का तेल 2 चम्मच सुबह 2 चम्मच आपको सोने के समय लेना है।

4) यदि सम्भव हो तो अलसी के बीज सुबह एवं सोने के समय लीजिए।

5) पानी का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें ।

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