पेड़ की पत्तियों पर आँसू जैसी बूंदे क्यों दिखाई देते है ?
ओस की जो बून्द होती है वो अलग ही नजर आती है उनका चित्र भी बहुत मनमोहक होता है। इसी के साथ हमे कभी कभी पत्तियों पर आँशु जैसी बूंदे भी दिखाई देती है , इनको देखकर हमारे मन मे अनेकों विचार आते है। ये जो बूंदे होती है ये तब भी नजर आती है जब हमारे वातावरण में कोई ओस या ठंड नही होती है। अब सवाल ये उठता है कि ये अब पत्तियों पर क्यो दिखाई देती है।
■ बिंदुस्त्राव होता क्या है ?
इस क्वेश्चन के उत्तर के बारे में जानने से पहले हमें इस बिंदुस्त्राव क बारे में पढ़ना होगा कि आखिर ये होता क्या है। बिंदुस्त्राव की जानकारी बहुत ही आवश्यक है इस जानकारी को आप मन लगाकर पढ़ सकते है। पेड़ की पत्तियों में पाए जाने वाले रंध्र या फिर स्टोमेटा तो आपको याद ही होंगे जो वाष्पोत्सर्जन की ही क्रिया द्वारा पेड़ पौधों में मौजूद एक्स्ट्रा पानी को वॉटरवेपर के फॉर्म में बाहर वातावरण के अंदर निकाल देते हैं। लेकिन जब वाष्पोत्सर्जन की क्रिया सही ढंग से नही हो पाती तो उस समय पेड़ पौधों के ऊपर अधिक एक्सट्रा पानी जमा हो जाता है। अब इसी पानी को बाहर निकालने को हम आम भाषा मे बिंदुस्त्राव कहते है।
आपकी जानकरी के लिए बता दु पेड़ पौधों की पत्तियों पर बिल्कुल विशेष प्रकार के रन्ध्र या छेद पाए जाते है। जिनको हम विज्ञान की भाषा मे Hydathode कहते है। ये जो हाइडाथोड होते है ये पत्तियों के सिरों पर सर्वाधिक मात्रा में पाए जाते है। साथ मे इनसे निकलने वाला पानी जलवाष्प या वाटरपेपर के रूप नही आता बल्कि वो पानी की बूंद के रूप में आता है। ये आप सभी ने देखा भी होगा नही देखा तो आज देख लेना आपको ऐसी ही प्रक्रिया के अंदर दिखाई देगा। क्योकि इस विधि के अंदर पानी हमेशा बूंदों के रूप में ही बाहर निकलता है। अब बात है आँसू की जो लोग कविता लिखते है जिनको हम कवि कहते है या जो साहित्यकार होते है वो इन पानी की बूंदों को कविता में आँसू ही लिखते है।
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